पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण https://kylerspjxb.bloggadores.com/29292435/the-definitive-guide-to-lyrics-shiv-chalisa