सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥ बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥ तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा । Great hero, You will be as mighty like https://mariomtxyy.blogofchange.com/36204888/hanuman-chalisa-an-overview